श्री तारा महाविद्या शाबर साधना :-
मन्त्र
ॐ तारा तारा महातारा, ब्रह्म-विष्णु-महेश उधारा, चौदह भुवन आपद हारा, जहाँ भेजों तहां जाहि, बुद्धि-रिद्धि ल्याव, तीनो लोक उखाल डार-डार, न उखाले तो अक्षोभ्य की आन, सब सौ कोस चहूँ ओर, मेरा शत्रु तेरा बलि, खः फट फुरो मंत्र, इश्वरो वाचा.
विधि
इस मंत्र को नवरात्रों में १०००० बार जप कर सिद्ध कर लेवें. फिर १०८ बार रोज़ जप करते रहे. साधक का बुद्धि और रिद्धि बल बढता रहता है. कोई भी शत्रु हानी नहीं पहुंचा सकता है. सभी अभिचार साधक पर निष्फल रहते हैं
वाक् सिद्धि विकास हेतु श्री तारा साधना
देवी तारा दस महाविद्याओं में से एक है इन्हे नील सरस्वती भी कहा जाता है ! ये सरस्वती का तांत्रिक स्वरुप है
अब आप एक एक अनार निम्न मंत्र के उच्चारण के साथ गणेश जी व् अक्षोभ पुरुष को काट कर बली दे ..
ॐ गं उच्छिस्ट गणेशाय नमः भो भो देव प्रसिद प्रसिद मया दत्तं इयं बलिं गृहान हूँ फट .
.ॐ भं क्षं फ्रें नमो अक्षोभ्य काल पुरुष सकाय प्रसिद प्रसिद मया दत्तं इयं बलिं गृहान हूँ फट ..
अब आप इस मंत्र की एक माल जाप करे ..
॥क्षं अक्षोभ्य काल पुरुषाय नमः स्वाहा॥
फिर आप निम्न मंत्र की एक माला जाप करे ..
॥ह्रीं गं हस्तिपिशाची लिखे स्वाहा॥
इन मंत्रो की एक एक माला जाप शरू में व् अंत में करना अनिवार्य है क्यों नील तारा देवी के बीज मंत्र की जाप से अत्यंत भयंकर उर्जा का विस्फोट होता है शरीर के अंदर .. ऐसा लगता है जैसे की आप हवा में उड़ रहे हो .. एक हि क्षण में सातो आसमान के ऊपर विचरण की अनुभति तोह दुसरे ही क्षण अथाह समुद्र में गोता लगाने की .. इतना उर्जा का विस्फोट होगा की आप कमजोर पड़ने लग जायेंगे आप के शारीर उस उर्जा का प्रभाव व् तेज को सहन नहीं कर सकते इस के लिए ही यह दोनों मात्र शुरू व् अंत में एक एक माला आप लोग अवस्य करना .. नहीं तोह आप को विक्षिप्त होने से स्वं माँ भी नहीं बचा सकती ..
इस साधना से आप के पांच चक्र जाग्रत हो जाते है तोह आप स्वं ही समझ सकते हो इस मंत्र में कितनी उर्जा निर्माण करने की क्षमता है .. एक एक चक्र को उर्जाओ के तेज धक्के मार मार के जागते है ..अरे परमाणु बम क्या चीज़ है भगवती की इस बीज मंत्र के सामने ?
सब के सब धरे रह जायेंगे ..
मूल मंत्र-
॥स्त्रीं ॥
जप के उपरांत रोज देवी के दाहिने हात में समर्पण व् क्षमा पार्थना करना ना भूले ..
साधना समाप्त करने की उपरांत यथा साध्य हवन करना .. व् एक कुमारी कन्या को भोजन करा देना ..अगर किसी कन्या को भोजन करने में कोई असुविधा हो तोह आप एक वक्त में खाने की जितना मुल्य हो वोह आप किसी जरुरत मंद व्यक्ति को दान कर देना ...
भगवती आप सबका कल्याण करे ..
जब भगवती का बीजमंत्र का एक लाख से ऊपर जप पूर्ण हो जाये तब उनके अन्य मंत्रो का जाप लाभदायी होता है
कुछ लॊग अपने आपको वयक्त नहीं कर पाते, उनमे बोलने की छमता नहीं होती ,उनमे वाक् शक्ति का विकास नहीं होता ऐसे जातको को बुधवार के दिन तारा यन्त्र की स्थापना करनी चाहिए ! उसका पंचोपचार पूजन करने के पश्चात स्फटिक माला से इस मंत्र का २१ माला जप करना चाहिए -
मंत्र - ॐ नमः पद्मासने शब्दरुपे ऐं ह्रीं क्लीं वद वद वाग्वादिनी स्वाहा
२१ वे दिन हवन सामग्री मे जौ-घी मिलाकर उपरोक्त मंत्र का १०८ आहुति दे और पूर्ण आहुति प्रदान करे !
इस साधना से वाक् शक्ति का विकास होता है , आवाज़ का कम्पन जाता रहता है ! यह मोहिनी विद्या है एवं बहुत से प्रवचनकार,कथापुराण वाचक इसी मंत्र को सिद्ध कर जन समूह को अपने शब्द जालो से मोहते है ! अपने पास कुछ भी गोपनीय नहीं रख रहा सब आप लोगो से शेयर कर रहा हु !! प्रतिदिन साधना से पूर्व माँ तारा का पूजन कर एक -एक माला (स्त्रीम ह्रीं हुं ) तारा कुल्लुका एवं ( अं मं अक्षोभ्य श्री ) की अवश्य करे I
अब आप एक एक अनार निम्न मंत्र के उच्चारण के साथ गणेश जी व् अक्षोभ पुरुष को काट कर बली दे .. ye line mujhe thik se samjh me nahi aaya
ReplyDeleteप्रभु इन मंत्रो के उच्चारण के साथ अनार की बलि प्रदान करनी है
DeleteBhut hi sundr ...ek shnka hai kya JP se purv apna bndhn bhi krna anivarya hai...ydi bndhn krte hai to sadhna ke baad bndhn mukt kaise honge?ye sadhna bina guru ke smpnn nhi ho skti aur mera koi guru hi nhi hai 55vrsh ki avstha me kaun mujhe chela bnayega ...bhut ikcha hoti hai sadhna krne ki lekin koi marg drshk hi nhi ....aur n hi kisi ke pass smy hai n hoga.kya aap mera marg drshn kr skte hai.
ReplyDeleteगुरुदेव
ReplyDeleteधन प्राप्ती करने के लिए क्या मैं माता की उपासना कर सकता हूँ यदि हाँ तो उसकी विधि क्या हैं कृप्या मार्गदर्शन करें
दीप कुमार
Guruji kitne din ki sadhna h aur bij mantra ka jaap 1 laakh krke hi bali deni h ya pir bij mantra ke sath sath sare mantra ko padhna h...bijh mantra likha bhu nhi h...
ReplyDeleteदेवी जी ये साधना नवरात्रि मे शुरु करनी है इक्यावन दिन की साधना है पर इसके बीज मंत्र का जप आप कभी भी शुरु कर सकते है
Deleteये उग्र साधना है गुरु आग्या या सिद्ध विधा साधक के सानीधेयै मे ही करे
DeleteAap ka ashram kaha h kya aapne an tak koi sidhi ki h Jo pratyksh ho or mere kuch sawalo ke jawab de paye
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